महिलाओं में गर्भाशय से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। किसी को अनियमित पीरियड्स की शिकायत है, तो किसी को अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा है। वहीं, कुछ महिलाएं ऐसी हैं, जो गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) से जूझ रही हैं। हालांकि, इसका उपचार आसान है, लेकिन अनदेखी करने पर बांझपन जैसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि अधिकतर महिलाओं को फाइब्रॉएड के बारे में पता ही नहीं है। स्टाइक्रेज के इस लेख में हम इसी मुद्दे पर बात करेंगे। हम न सिर्फ फाइब्रॉएड का मतलब समझाएंगे, बल्कि इससे निपटने के लिए कुछ घरेलू उपचार भी आपके साथ शेयर करेंगे।
लेख के शुरुआत में हम यह जानते हैं कि गर्भाशय फाइब्रॉएड होता क्या है।
- क्या है गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) – What is Fibroids in Hindi
- गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) के कारण – Causes of Fibroids in Hindi
- गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षण – Symptoms of Fibroids in Hindi
- गर्भाशय फाइब्रॉएड के प्रकार – Types of Fibroids in Hindi
- गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) के घरेलू उपचार – Home Remedies for Fibroids in Hindi
- गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) का इलाज – Other Treatment Process for Fibroids in Hindi
- गर्भाशय फाइब्रॉएड के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips for Fibroids in Hindi
क्या है गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) – What is Fibroids in Hindi
यह गर्भाशय में मांसपेशियों व कोशिकाओं की एक या एक से ज्यादा गांठ होती हैं। आम भाषा में बात करें, तो यह गर्भाशय की दीवारों पर पनपने वाला एक प्रकार का ट्यूमर होता है। चिकित्सीय भाषा में इसे लियम्योमा या फिर म्योमा कहा जाता है। फाइब्रॉएड एक या एक से ज्यादा ट्यूमर के तौर पर विकसित होता है। ये ट्यूमर आकार में सेब के बीज से लेकर अंगूर जितने बड़े हो सकते हैं। असामान्य स्थिति में इनका आकार अंगूर से भी बड़ा हो सकता है। यहां एक बात और ध्यान में रखने वाली है कि ये ट्यूमर कभी कैंसर का कारण नहीं बनते हैं। यह जरूरी नहीं कि जिन महिलाओं को यह समस्या हैं, उन सभी में इसके लक्षण नजर आएं। वहीं, जिनमें यह लक्षण नजर आने लगते हैं, उन्हें तेज दर्द और अधिक रक्तस्राव का सामना करना पड़ता है और इन ट्यूमर के साथ जीना मुश्किल हो जाता है। यूट्रस फाइब्रॉएड (uterus fibroid) का इलाज पूरी तरह से महिला में नजर आ रहे लक्षणों पर निर्भर करता है (1) (2)।
आइए, अब जान लेते हैं कि किन-किन कारणों से महिलाओं को यह बीमारी होती है।
गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) के कारण – Causes of Fibroids in Hindi
फाइब्रॉएड होने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन वैज्ञानिक तौर पर किसी एक कारण की निश्चित तौर पर पुष्टि नहीं की गई है। इनमें से प्रमुख कारणों के बारे में हम यहां बता रहे हैं (3)।
- आयु : फाइब्रॉएड प्रजनन काल के दौरान विकसित होते हैं। खासतौर पर 30 की आयु से लेकर 40 की आयु के बीच या फिर रजनोवृत्ति शुरू होने तक इसके होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। माना जाता है कि रजनोवृत्ति शुरू होने के बाद ये कम होने लगते हैं।
- आनुवंशिक : अगर परिवार में किसी महिला को यह समस्या रही है, तो आशंका है कि आगे की पीढ़ी में से किसी अन्य को इसका सामना करना पड़ सकता है। अगर आपकी मां को यह समस्या रही है, तो आपको यह होने का खतरा तीन गुना तक बड़ जाता है।
- मोटापा : अगर किसी महिला का वजन अधिक है, तो उसमें फाइब्रॉएड होने की आशंका अन्य महिलाओं के मुकाबले तीन गुना तक ज्यादा होती है।
- असंतुलित भोजन : अगर आप रेड मीट या फिर जंक फूड ज्यादा खाती हैं और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन कम करती हैं, तो आप इस बीमारी की चपेट में आ सकती हैं।
- हार्मोंस : शरीर में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रोन हार्मोंस की मात्रा अधिक होने पर भी गर्भाशय फाइब्रॉएड हो सकता है।
- विटामिन-डी : शरीर में विटामिन-डी की कमी होने और आयरन की मात्रा बढ़ने पर भी आप यूट्रस फाइब्रॉएड (uterus fibroid) की चपेट में आ सकती हैं।
लेख के इस भाग में हम फाइब्रॉएड के लक्षणों को पहचानने का प्रयास करेंगे।
गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षण – Symptoms of Fibroids in Hindi
वैसे तो इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं, लेकिन फाइब्रॉएड से ग्रस्त कुछ महिलाओं में इस तरह के परिवर्तन दिखाई दे सकते हैं (4):
- अत्यधिक रक्तस्राव और पीरियड्स के दौरान अहसनीय दर्द होना।
- एनीमिया यानी शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी आना।
- पेट के निचले हिस्से यानी पेल्विक एरिया में भारीपन महसूस होना।
- पेट के निचले हिस्से का फूलना।
- बार-बार पेशाब आने का अहसास होना।
- यौन संबंध बनाते समय दर्द होना।
- कमर के निचले हिस्से में दर्द होना।
- प्रजनन क्षमता में कमी यानी बांझपन, बार-बार गर्भपात होना, गर्भावस्था के दौरान सी-सेक्शन का खतरा छह गुना तक बढ़ना।
आइए, अब बात करते हैं कि फाइब्रॉएड कितने प्रकार का हो सकता है।
गर्भाशय फाइब्रॉएड के प्रकार – Types of Fibroids in Hindi
गर्भाशय में फाइब्रॉएड कहां हैं, उसके आधार पर इनका वर्गीकरण किया जाता है। उनके बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं (5)।
- सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड : यह गर्भाशय में मांसपेशियों की परत के बीच विकसित होते हैं। इसके कारण मासिक धर्म के दौरान दर्द के साथ अत्यधिक मात्रा में रक्तस्राव होता है। साथ ही गर्भधारण करने में भी परेशानी हो सकती है।
- इंट्राम्युरल फाइब्रॉएड : यह गर्भाशय की दीवार पर पनपने वाला आम फाइब्रॉएड होता है। इसके कारण गर्भाशय फूल जाता है और बड़ा नजर आने लगता है। साथ ही दर्द व रक्तस्राव होता है और गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है।
- सबसेरोसल फाइब्रॉएड : यह गर्भाशय के बाहरी दीवार पर विकसित होता है। यह आंत, रीढ़ की हड्डी और ब्लैडर पर दबाव डालता है। इसके कारण श्रोणी में तेज दर्द होता है।
- सर्वाइकल फाइब्रॉएड : यह मुख्य तौर पर गर्भाशय की गर्दन पर पनपता है।
- इंट्रालिगमेंटस फाइब्रॉएड : यह गर्भाशय के साथ जुड़े टिश्यू में विकसित होते हैं। इससे मासिक धर्म अनियमित हो जाते हैं।
लेख के इस अहम भाग में हम फाइब्रॉएड के घरेलू उपचारों के बारे में बात करेंगे।
गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) के घरेलू उपचार – Home Remedies for Fibroids in Hindi
1. लहसुन
सामग्री :
- लहसुन की तीन से पांच कलियां
- एक गिलास दूध
प्रयोग की विधि :
- इन कलियों को खाली पेट खाएं।
- अगर लहसुन का स्वाद और गंध तेज है, तो उसे खाने के बाद एक गिलास दूध पी सकते हैं।
कब-कब करें सेवन
- प्रतिदिन सेवन कर सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद :
हम खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए लहसुन को अपने भोजन में शामिल करते हैं। साथ ही यह गर्भाशय फाइब्रॉएड का इलाज करने में भी सक्षम है। इसमें प्राकृतिक रूप से एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो गर्भाशय में ट्यूमर को विकसित होने से रोकते हैं (6)। इससे यूट्रस फाइब्रॉएड (uterus fibroid) से आराम मिलता है। साथ ही यह पाचन तंत्र को भी बेहतर करता है।
2. सेब का सिरका
सामग्री :
- दो चम्मच सेब का सिरका
- एक कप पानी
प्रयोग की विधि :
- सेब के सिरके को हल्के गुनगुन पानी में अच्छी तरह मिलाएं पिएं।
कब-कब करें सेवन
- इस घरेलू उपाय का उपयोग प्रतिदिन किया जा सकता है।
कैसे है फायदेमंद :
गर्भाशय फाइब्रॉएड यानी रसौली के इलाज में सेब के सिरके को घरेलू उपचार के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके सेवन से शरीर में जमा हो चुके विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। साथ ही वजन कम करने में मदद मिलती है (7)। हम इस लेख के शुरुआत में बता चुके हैं कि अधिक वजन के कारण भी महिलाओं को फाइब्रॉएड हो सकता है। हालांकि, अभी तक इस तथ्य की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर लोगों का मानना है कि सेब के सिरके का सेवन करने से फाइब्रॉएड ट्यूमर के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
3. हल्दी
प्रक्रिया नंबर-1
सामग्री :
- एक से तीन ग्राम या फिर ½ इंच हल्दी की जड़
- एक गिलास जूस
प्रयोग की विधि :
- हल्दी की जड़ को या तो काट लें या फिर पीस लें।
- अब इसे एक गिलास जूस में डालकर पी जाएं।
- आप 30 एमल हल्दी पाउडर को दिन में तीन बार ऐसे भी सेवन कर सकते हैं।
- आप स्वाद के लिए इसमें चुटकी भर काली मिर्च भी मिला सकते हैं।
- इसके अलावा, आप इसे अपने खाने में भी मिला सकते हैं। अगर आप अपने खाने में मिलाते हैं, तो दिनभर में एक चम्मच हल्दी पर्याप्त है।
प्रक्रिया नंबर-2
सामग्री :
- दो चम्मच हल्दी पाउडर
- एक लीटर पानी
प्रयोग की विधि :
- पानी में हल्दी को मिलाएं और करीब 15 मिनट तक उबालें।
- इसके बाद पानी को ठंडा होने दें और फिर पी लें।
कब-कब करें सेवन
- इस मिश्रण को रोज दो बार पिएं।
कैसे है फायदेमंद :
यह साबित हो चुका है कि हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। साथ ही हल्दी कैंसर व फाइब्रॉएड जैसी बीमारियों को ठीक करने में सक्षम है। हल्दी के सेवन से गर्भाशय के अंदर व बाहर कोमल मांसपेशियों के सेल विकसित होते हैं, जिससे प्रजनन क्षमता बेहतर हो सकती है। इसके अलावा, हल्दी एंटीइंफ्लेमेटरी का प्रमुख स्रोत होने के कारण गर्भाशय में पनपने वाली सूजन व ट्यूमर को जड़ से खत्म कर सकती है (6)।
4. आंवला
सामग्री :
- एक चम्मच आंवला पाउडर
- एक चम्मच शहद
प्रयोग की विधि :
- आंवला पाउडर और शहद को मिलाकर रोज सुबह खाली पेट सेवन करें।
कब-कब करें सेवन
- अच्छे परिणाम के लिए करीब एक माह तक नियमित रूप से खाएं।
कैसे है फायदेमंद :
आयुर्वेद में आंवले का प्रयोग औषधि के रूप में वर्षों से किया जा रहा है। वैज्ञानिक शोध में भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि आंवले में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। फाइब्रॉएड में खून की कमी हो जाती है, जबकि आंवले के सेवन से लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में वृद्धि होती है (8)। इस लिहाज से रसौली के इलाज के लिए आंवला बेहतरीन घरेलू उपचार है।
5. ग्रीन टी
सामग्री :
- एक ग्रीन टी बैग
- एक कप पानी
प्रयोग की विधि :
- पानी को गर्म कर लें और फिर उसमें ग्रीन टी बैग को डाल दें।
- फिर इसे चाय की तरह पिएं।
कब-कब करें सेवन
- आप दिन में करीब दो बार पी सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद :
ग्रीन टी में एपिगलोकेटेशिन गलेट नामक पॉलिफेनोल एजेंट पाया जाता है, जो फाइब्रॉएड पर कारगर तरीके से काम करता है। मुख्य रूप से पॉलिफेनोल हरी पत्तेदार सब्जियों और फलों में पाया जाता है। लैब में किए गए परीक्षण से साबित हुआ है कि गर्भाशय फाइब्रॉएड सेल को जड़ से खत्म करने में ग्रीन टी सक्षम है (9)। साथ ही यह एस्ट्रोजन के स्तर को भी कम करने में सक्षम है। इस लिहाज से रसौली के इलाज में इस घरेलू उपचार का प्रयोग किया जा सकता है।
6. दूध
सामग्री :
- एक गिलास दूध
- एक चम्मच धनिया पाउडर
- एक चम्मच हल्दी पाउडर
- एक चम्मच त्रिफला पाउडर
प्रयोग की विधि :
- सबसे पहले दूध को गर्म कर लें।
- अब इसमें अन्य सामग्रियों को डालकर अच्छी तरह मिला लें।
- फिर इस दूध का सेवन करें।
कब-कब करें सेवन
- दिन में कम से कम दो बार एक गिलास दूध पिएं।
कैसे है फायदेमंद :
अगर आप चाहते हैं कि फाइब्रॉएड की समस्या जल्द दूर हो जाए, तो आज ही अपनी डाइट में योगर्ट व दूध जैसे डेयरी प्रोडक्ट को शामिल करें। डेयरी प्रोडक्ट कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम से भरपूर होते हैं। ये सभी मिनरल्स फाइब्रॉएड के ट्यूमर को बढ़ने से रोकते हैं। साथ ही इनमें विटामिन-डी भी होता है, फाइब्रॉएड में इसका सेवन करने से फायदा होता है (10)। रसौली उपचार के तौर पर डेयरी उत्पाद अच्छे विकल्प हैं।
7. सिंहपर्णी की जड़ें
प्रक्रिया नंबर-1
सामग्री :
- एक गिलास पानी
- एक चम्मच सिंहपर्णी की जड़ का पाउडर
प्रयोग की विधि :
- पानी में सिंहपर्णी की जड़ का पाउडर मिलाएं और करीब 15 मिनट तक उबालें।
- इसके बाद पानी को छान लें और हल्का गुनगुना होने दें।
- इसके बाद आप इस पानी को पी जाएं।
कब-कब करें सेवन
- यह पानी आप करीब तीन महीने तक रोजाना दो बार पी सकते हैं।
प्रक्रिया नंबर-2
सामग्री :
- एक लीटर पानी
- थोड़ी-सी सिंहपर्णी की जड़
प्रयोग की विधि :
- सिंहपर्णी की जड़ को पानी में डाल दें और बर्तन को करीब 12 घंटे के लिए बंद कर दें।
- इससे जड़ में मौजूद सभी पोषक तत्व व मिनरल्स पानी के साथ मिक्स हो जाएंगे।
- अब इस पानी को छानकर एक बोतल में भर लें और थोड़ा-थोड़ा करके दिनभर पिएं।
कैसे है फायदेमंद :
जैसा कि आप जानते हैं कि लिवर के ठीक तरह से काम न करने पर एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर अधिक होने पर फाइब्रॉएड की समस्या होती है। ऐसे में सिंहपर्णी की जड़ से बने पाउडर का सेवन करने से लिवर में जमा विषैले जीवाणु बाहर निकल जाते हैं। साथ ही एस्ट्रोजन का स्तर सामान्य होता है। सिंहपर्णी की जड़ में अधिक मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं (11) (12), जो यूट्रस फाइब्रॉएड (uterus fibroid) से लड़ने में मदद करते हैं।
8. साल्मन मछली
प्रयोग की विधि :
- हफ्ते में एक या दो बार साल्मन मछली को अपने भोजन में शामिल किया जा सकता है।
कैसे है फायदेमंद :
साल्मन मछली को ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन-डी का अच्छा स्रोत माना गया है। साथ ही साल्मन मछली में फिश ऑयल भी होता है, जिसकी मदद से शरीर में प्रोस्टाग्लैंडीन ई3 (PGE3) का निर्माण होता है। यह यौगिक एंटीइंफ्लेमेटरी की तरह काम करता है, जो फाइब्रॉएड से होने वाले दर्द को कम करने में सक्षम है। साथ ही साल्मन मछली शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर को नियंत्रित करती है (13) (14)।
9. सिट्रस फल
सामग्री :
- दो चम्मच नींबू का रस
- एक चम्मच बेकिंग सोडा
- एक गिलास पानी
प्रयोग की विधि :
- नींबू के रस और बेकिंग सोडे को पानी में मिक्स कर लें और पिएं।
कब-कब करें सेवन
- आप रोज सुबह खाली पेट इसका सेवन कर सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद :
सिट्रस फलों में विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। फाइब्रॉएड के इलाज के लिए विटामिन-सी बेहद जरूरी है। इन फलों में विटामिन-सी होने के कारण यह फाइब्रॉएड के ट्यूमर को बढ़ने से रोकता है। साथ ये फल रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए बेहतर माने जाते हैं। नींबू, संतरे, मौसमी, स्ट्रॉबेरी, किवी व अंगूर में अधिक मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है (15) (16)।
10. बादाम
सामग्री :
- पांच-दस बादाम
प्रयोग की विधि :
- बादाम को रातभर पानी में भिगोकर रखें।
- अगली सुबह छिलके उताकर बादाम को खाएं।
कब-कब करें सेवन
- आप प्रतिदिन इसका सेवन करें।
कैसे है फायदेमंद :
बादाम में ओमेगा 3 फैटी एसिड, मिनरल्स, मोनोसैचुरेटेड फैट और एडिपोनेक्टिन नामक तत्व पाए जाते हैं। इसके सेवन से इंसुलिन व एंड्रोजन हार्मोंस के स्तर में सुधार होता है। जैसा कि आप जानते हैं कि फाइब्रॉएड की समस्या हार्मोंस के असंतुलित होने पर होती है, इसलिए बादाम का सेवन करना अच्छा विकल्प है। इसके अलावा, बादाम गर्भाशय की लाइनिंग को ठीक करता है और फाइब्रॉएड के ट्यूमर ज्यादातर इसी जगह पनपते हैं (17)।
11. बरडॉक रूट
सामग्री :
- आधा चम्मच सूखी बरडॉक रूट
- एक कप पानी
प्रयोग की विधि :
- पानी को अच्छी तरह से उबाल लें।
- इसके बाद बरडॉक रूट को उसमें डाल दें।
- करीब 15 मिनट बाद पानी को छान लें और पिएं।
कब-कब करें सेवन
- बेहतर परिणाम के लिए करीब एक महीने तक हर रोज एक कप बरडॉक रूट की चाय पिएं।
कैसे है फायदेमंद :
बरडॉक रूट एक प्रकार की सब्जी है, जो एशिया और यूरोप में अधिक मात्रा में पाई जाती है। इसके सेवन से लिवर की कार्यक्षमता बेहतर होती है, ताकि एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर को नियंत्रित कर फाइब्रॉएड के प्रभाव को कम किया जा सके। साथ ही इसमें मूत्रवर्धक गुण भी होता है, जिस कारण शरीर से विषैले जीवाणु बाहर निकल जाते हैं और सूजन से राहत मिलती है। इसके अलावा, बरडॉक रूट में एंटइंफ्लेमेटरी गुण भी होता है, जो फाइब्रॉएड ट्यूमर के आकार को कम करता है (18) (19)।
12. अदरक
सामग्री :
- थोड़ा-सा अदरक
- एक कप पानी
प्रयोग की विधि :
- अदरक के टुकड़े करके पानी में डाल दें और कुछ देर के लिए उबालें।
- फिर इसे छान कर पिएं।
कब-कब करें सेवन
- कुछ दिन तक लगातार प्रतिदिन एक से दो कप पी सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद :
अदरक ऐसी गुणकारी आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका उपयोग वर्षों से किया जा रहा है। अदरक के सेवन से शरीर में रक्त का संचार अच्छी तरह होता है, जिससे फाइब्रॉएड का प्रभाव कम होता है। अदरक में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। यह फाइब्रॉएड ट्यूमर का आकार छोटा करने और सूजन से राहत दिलाने में कारगर घरेलू उपाय है (20) (21)।
13. ब्रोकली
प्रयोग की विधि :
- ब्रोकली को सलाद के साथ, फ्राई करके, करी या फिर सूप में डालकर सेवन किया जा सकता है।
कब-कब करें सेवन
- प्रतिदिन की डाइट में इसे शामिल कर सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद :
यह एक प्रकार की फूलगोभी होती है, जो फाइबर से भरपूर होती है, लेकिन कैलोरी नाममात्र की होती है। इसके सेवन से पाचन तंत्र बेहतर होता है और एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में सुधार आता है। साथ ही इसमें कुछ खास एंजाइम होते हैं, जो ट्यूमर को बढ़ने से रोकते हैं (22) (23)।
14. अरंडी का तेल
सामग्री :
- कोई भी सूती कपड़ा
- थोड़ा-सा अरंडी का तेल
- एक प्लास्टिक का कवर
- हॉट बोतल
प्रयोग की विधि :
- कपड़े को अरंडी के तेल में भिगो दें और फिर कपड़े को पेट पर रख दें।
- इसके बाद प्लास्टिक का कवर उस पर रख दें।
- फिर हॉट बोतल को उस पर रखकर थोड़ी देर के लिए गर्म सेक लें।
कब-कब करें सेवन
- इस प्रक्रिया को करीब एक माह तक हफ्ते में तीन-चार बार करें।
कैसे है फायदेमंद :
फाइब्रॉएड के घरेलू उपचार के तौर पर अरंडी के तेल का प्रयोग किया जा सकता है। यह शरीर में रक्त संचार में वृद्धि करने के साथ-साथ बीमारी से जल्द उबरने के लिए लिम्फेटिक सिस्टम को बेहतर करता है। अरंडी के तेल में रिसिनोलिक एसिड पाया जाता है, जो फाइब्रॉएड के ट्यूमर को छोटा कर सुखाने में मदद करता है (24)।
15. कच्ची सब्जियां
प्रयोग की विधि :
- प्रतिदिन के खान-पान में हरी व कच्ची सब्जियों को शामिल करें।
- आप इन सब्जियों को मिलाकर सलाद बनाकर भी खा सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद :
हरी पत्तेदार सब्जियों में अत्यधिक मात्रा में फाइबर और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होता है। साथ ही इन सब्जियों में विटामिन-ई की मात्रा भी पाई जाती है, जो रक्त में घुलकर अत्यधिक रक्तस्राव को रोकता है। सब्जियां का सेवन करने से लिवर में मौजूद विषैले जीवाणु निकल जाते हैं। साथ ही एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर संतुलित होता है। शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि ब्रोकली, गोभी और टमाटर के सेवन से गर्भाशय फाइब्रॉएड से राहत मिलती है (25)।
घरेलू उपचार के बाद अब हम जान लेते हैं कि फाइब्रॉएड के इलाज कितने प्रकार के हैं।
गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) का इलाज – Other Treatment Process for Fibroids in Hindi
गर्भाशय फाइब्रॉएड का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि आपमें इस बीमारी के लक्षण किस प्रकार के नजर आ रहे हैं। अगर आपको फाइब्रॉइड है, लेकिन कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, तो इलाज की जरूरत नहीं होती। फिर भी डॉक्टर से नियमित रूप से जांच करवाते रहें। वहीं, अगर आप रजोनवृत्ति के पास हैं, तो आपके फाइब्रॉएड सिकुड़ने लगते हैं। इसके अलावा, अगर आपमें फाइब्रॉएड के लक्षण नजर आते हैं, तो उनका इलाज बीमारी की स्थिति के अनुसार किया जाता है। इन इलाज के बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं (26)।
इलाज से पहले डॉक्टर निम्नलिखित बातों पर गौर करते हैं :
- आपकी उम्र
- आपका स्वास्थ्य
- आपके लक्षण कितने गंभीर हैं
- फाइब्रॉएड किस जगह पर हैं
- उनका प्रकार और साइज क्या है
- क्या आप गर्भवती हैं या फिर होने की योजना बना रही हैं
फाइब्रॉएड के इलाज को तीन वर्गों में बांटा गया है, जिनका वर्णन हम आगे कर रहे हैं।
दवा आधारित इलाज
लक्षणों के अनुसार डॉक्टर आपको कुछ दवाएं दे सकते हैं, जो फाइब्रॉएड के प्रभाव को कम करने का काम करेंगी। ये दवाएं इस प्रकार हैं :
- दर्द निवारक दवा : हल्का या कभी-कभी होने वाले दर्द में ओवर-द-काउंटर या फिर कोई अन्य दवा दी जा सकती है।
- गर्भनिरोधक गोलियां : इन दवाइयों के सेवन से अत्यधिक रक्तस्राव और दर्दनाक मासिक धर्म से राहत मिलती है, लेकिन कभी-कभी ये दवाइयां लेने से फाइब्रॉएड की समस्या और बढ़ सकती है।
- प्रोजेस्टिन-रिलीजिंग इंट्रायूटरिन डिवाइस (IUD) : हालांकि, इस दवा को लेने से अत्यधिक रक्तस्राव और दर्द से राहत मिल सकती है, लेकिन फाइब्रॉएड का इलाज करने में सक्षम नहीं है। जिन महिलाओं के फाइब्रॉएड का आकार बड़ा है, उन्हें यह दवा नहीं दी जाती है।
- गोनाडोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट (GnRHa) : रसौली उपचार के तौर पर यह दवा लेने से शरीर में वो हार्मोंस बनने बंद हो जाते हैं, जो ओवलेशन और पीरियड्स का कारण बनते हैं। साथ ही यह दवा फाइब्रॉएड के आकार को भी छोटा करने में सक्षम है। हालांकि, यह दवा लाभकारी है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। इसे लेने से रजोनवृत्ति होने जैसा आभास हो सकता है और हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। इसलिए, डॉक्टर सर्जरी से पहले फाइब्रॉएड का आकार छोटा करने के लिए या फिर एनीमिया का इलाज करने के लिए यह दवा देते हैं।
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- एंटीहार्मोनल एजेंट या हार्मोन मॉड्यूलेटर : इस दवा में यूलिप्रिस्टल एसीटेट, मिफेप्रिस्टोन और लेट्रोजोले शामिल होते हैं, जो फाइब्रॉएड को विकसित होने से रोक सकते हैं या उनकी गति को धीमा कर सकते हैं। साथ ही रक्तस्राव को भी कम कर सकते हैं।
नोट : ध्यान रहे कि ये दवाएं फाइब्रॉएड से अस्थाई तौर पर ही राहत दिला सकती हैं। जैसे ही दवाओं को लेना बंद किया, फाइब्रॉएड फिर से हो सकता है। साथ ही इन दवाओं के साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, जो कभी-कभी गंभीर रूप ले सकते हैं।
सर्जरी
जब लक्षण बेहद गंभीर हों, तो डॉक्टर सर्जरी करने का निर्णय लेते हैं। यहां हम कुछ प्रमुख सर्जरी की प्रक्रियाओं के बारे में बता रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इनमें से कुछ सर्जरी के बाद महिला के गर्भवती होने की संभावना न के बराबर हो जाती है। इसलिए, सर्जरी कराने से पहले एक बार डॉक्टर से इस विषय में विस्तार से बात कर लें।
- एब्डोमिनल हिस्टेरेक्टोमी : डॉक्टर पेट में कट लगाकर गर्भाशय को बाहर निकाल कर फाइब्रॉएड को हटाते हैं। यह प्रक्रिया उसी प्रकार होती है, जैसे सिजेरियन डिलीवरी के दौरान होती है। इस तरह की सर्जरी में मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में रखा जाता है और ठीक होने में लंबा समय लगता है। अगर डॉक्टर अंडाशय या फिर फैलोपियन ट्यूब को निकाल देते हैं, तो महिला में कामेच्छा की कमी हो सकती है या फिर समय से पूर्व रजोनिवृत्ति हो सकती है।
- वजाइनल हिस्टेरेक्टोमी : डॉक्टर पेट में कट लगाने की जगह योनी के रास्ते गर्भाशय को बाहर निकालते हैं और फाइब्रॉएड को हटाते हैं। यह सर्जरी एब्डोमिनल हिस्टेरेक्टोमी के मुकाबले कम जोखिम भरी है और इसमें मरीज को ठीक होने में समय भी कम लगता है। अगर फाइब्रॉएड का आकार बड़ा है, तो डॉक्टर इस सर्जरी को नहीं करने का निर्णय लेते हैं।
- लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टोमी : वजाइनल हिस्टेरेक्टोपी की तरह यह सर्जरी भी कम जोखिम भरी है और इसमें मरीज को रिकवर होने में कम समय लगता है। यह सर्जरी सिर्फ कुछ मामलों में ही प्रयोग की जाती है।
- रोबोटिक हिस्टेरेक्टोमी : इन दिनों यह सर्जरी तेजी से प्रचलित हो रही है। इसमें डॉक्टर एक रोबोटिक आर्म के जरिए सर्जरी करते हैं। अन्य सर्जरी के मुकाबले इसमें पेट और गर्भाशय में छोटा-सा कट लगाया जाता है। इसलिए, मरीज तीन से चार हफ्ते में ठीक हो जाता है।
- मायोमेक्टोमी : इस सर्जरी में गर्भाशय की दीवार से फाइब्रॉएड को हटाया जाता है। अगर आप भविष्य में गर्भवती होने की सोच रही हैं, तो डॉक्टर सर्जरी के लिए इस विकल्प को चुन सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि यह सर्जरी हर प्रकार के फाइब्रॉएड के लिए उपयुक्त नहीं है। डॉक्टर आपकी स्थिति के अनुसार इसे करने या न करने का निर्णय लेते हैं।
- हिस्टेरेक्टोमी रिसेक्शन ऑफ फाइब्रॉएड : इसमें फाइब्रॉएड को हटाने के लिए पतली दूरबीन (हिस्टेरोस्कोपी) और छोटे सर्जिकल उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। इसके जरिए गर्भाशय के अंदर पनपन रहे फाइब्रॉएड को निकाला जाता है। जो महिलाएं भविष्य में गर्भवती होना चाहती हैं, उनके लिए यह सर्जरी सबसे उपयुक्त है। इसमें दूरबीन को योनी के जरिए गर्भाशय तक ले जाया जाता है, इसलिए इसमें किसी भी प्रकार का चीरा और टांके नहीं लगते और आप उसी दिन वापस घर जा सकते हैं।
- हिस्टेरेक्टोमी मोरसेलेशन ऑफ फाइब्रॉएड : यह आधुनिक तकनीक है, जिसमें हिस्टेरोस्कोपी को ग्रीवा के रास्ते गर्भाशय के अंदर तक ले जाया जाता है और फाइब्रॉएड टिशू को काटकर बाहर निकाला जाता है। यह नई तकनीक है और इसकी उपयोगिता व कार्यक्षमता पर विस्तार से अध्यान होना बाकी है (27)।
अन्य प्रक्रियाएं
गर्भाशय फाइब्रॉएड को दवाओं व सर्जरी के अलावा अन्य प्रक्रियाओं से भी ठीक किया जा सकता है। ये प्रक्रियाएं इस प्रकार हो सकती हैं :
- यूटरिन आर्टरी एम्बोलिजेशन (UAE) : हिस्टेरेक्टोमी व मायोमेक्टोमी की जगह विकल्प की तौर पर इसे चुना जा सकता है। जिन महिलाओं का फाइब्रॉएड आकार में बड़ा है, उनके इलाज के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है। एक छोटी-सी ट्यूब (कैथेटर) को टांगों की रक्त वाहिकाओं के जरिए शरीर में प्रविष्ट किया जाता है और फिर एक तरल पदार्थ को अंदर डाला जाता है। इस तरल पदार्थ की मदद से फाइब्रॉएड को सिकोड़ा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को एक्स-रे मशीन से नियंत्रित किया जाता है। इस उपचार के बाद गर्भधारण करना संभव है (28)।
- एंडोमेट्रियल एब्लेशन : जिस महिला में फाइब्रॉएड का आकार छोटा होता है, उसके लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें गर्भाशय की परतों को हटाया जाता है। इसका प्रयोग अत्यधिक रक्तस्राव को कम करने के लिए भी किया जा सकता है (29)।
- एमआरआई : एमआरआई स्कैन करके पता लगाया जाता है कि फाइब्रॉएड कहां है। फिर त्वचा के जरिए सुई को शरीर के अंदर डाला जाता है और इसी सुई के माध्यम से फाइबर-ऑप्टिकल-केबल डाली जाती है। इस केबल के जरिए लेजर किरण फाइब्रॉएड तक पहुंचती है और उसे सिकोड़ देती है (30)।
गर्भाशय फाइब्रॉएड के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips for Fibroids in Hindi
बेशक, फाइब्रॉएड की समस्या गंभीर होने पर अच्छे डॉक्टर से इलाज करवाना बेहतर है, लेकिन इसी के साथ अपनी डाइट और जीवनशैली में बदलाव करना भी जरूरी है। यहां हम बता रहे हैं कि गर्भाशय में रसौली होने पर किन-किन बातों का ध्यान रखें।
क्या करें
- फल व सब्जियां खाएं : कई शोधों में इस बात की पुष्टि की गई है कि सेब, ब्रोकली व टमाटर जैसे ताजे फल व सब्जियां खाने से फाइब्रॉएड के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। साथ ही पौष्टिक अनाज के सेवन से इसके लक्षणों में कमी आ सकती है।
- रक्तचाप पर रखें नजर : अगर आपका रक्तचाप असंतुलित है, तो गर्भाशय की रसौली आपको तंग कर सकती है। इसलिए, अपने डॉक्टर से परामर्श लें कि रक्तचाप को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।
- तनाव से मुक्ति : कई समस्याओं की जड़ तनाव होता है। इसलिए, जितना हो सके इससे दूर रहें। खुद को शांत रखें। इसके लिए आप योग कर सकते हैं या फिर मसाज करवा सकते हैं।
- एक्यूपंक्चर : अगर आपको अधिक दर्द हो रहा है, तो आप एक्यूपंक्चर थेरेपी की मदद ले सकती हैं।
- डॉक्टर की सलाह : इस बीमारी में कोई भी दवा लेने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
- नियमित व्यायाम : प्रतिदिन व्यायाम करना भी जरूरी है। व्यायाम करने से प्राकृतिक रूप से विषैले जीवाणु शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
- पानी पिएं : फाइब्रॉएड के मरीज को अत्यधिक तरल पदार्थ लेना चाहिए। पानी के साथ आप दिनभर में जूस, सूप या फिर अन्य तरल पदार्थ ले सकते हैं। इससे शरीर में जमा विषैले जीवाणु मूत्र के जरिए बाहर निकल जाते हैं।
क्या न करें
- धूम्रपान व शराब से दूरी : धूम्रपान व शराब के सेवन से लिवर पर असर पड़ता है, जिस कारण शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने लगता है। यह स्थिति फाइब्रॉएड के लिए ठीक नहीं है।
- कैफीन की मात्रा कम : चाय व कॉफी के सेवन से शरीर में हार्मोंस का स्तर असंतुलित हो जाता है। साथ ही शरीर जरूरी पोषक तत्वों को ग्रहण करने में सक्षम नहीं रहता। परिणामस्वरूप फाइब्रॉएड की समस्या बढ़ जाती है।
- कैफीन की मात्रा कम : अगर आप नियमित रूप से व्यायाम नहीं करेंगे, तो रसौली के ठीक होने की संभावना कम हो जाएगी। स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना जरूरी है।
- प्रोसेस्ड फूट न खाएं : इस तरह के खाद्य पदार्थों में कई प्रकार के हानिकारक तत्व और केमिकल रंग मिले होते हैं, जो हार्मोंस के स्तर को असंतुलित करते हैं और फाइब्रॉएड की समस्या बढ़ने लगती है।
यह तो स्पष्ट हो चुका है कि फाइब्रॉएड कोई गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो कई दिक्कतें हो सकती हैं। अगर आपको या आपकी जानकारी में किसी को गर्भाशय में रसौली है, तो यह लेख आपके काफी काम आ सकता है। ध्यान रहे कि इस लेख में बताए गए घरेलू उपचारों तभी उपयोगी साबित होंगे, जब आप अपने खान-पान और दिनचर्या को संतुलित रखेंगे। अगर इस विषय के संबंध में आप कुछ और पूछना चाहते हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स में अपने प्रश्न हमारे साथ शेयर कर सकते हैं।
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