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कमर और पीठ दर्द के लिए योगासन – Yoga Asanas To Reduce Back Pain in Hindi

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शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने के लिए योग को फायदेमंद माना गया है। संभवत यही वजह है कि योग को लेकर कहा जाता है, “करो योग, रहो निरोग”। हर प्रकार की शारीरिक व मानसिक समस्या के लिए योग को कारगर उपाय माना गया है। कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं, जो जीवन की गुणवत्ता यानी क्वालिटी ऑफ लाइफ को बुरी तरह से प्रभावित करती हैं। हम कुछ ऐसी ही समस्या यानी पीठ व कमर दर्द की बात कर रहे हैं। यह दर्द हमारी दिनचर्या को इस कदर प्रभावित करता है कि उठना, बैठना और यहां तक कि लेटना भी मुश्किल हो जाता है। वैसे तो डॉक्टर पीठ व कमर दर्द ठीक करने के लिए कई तरह की दवाओं की सलाह देते हैं, लेकिन कमर दर्द ठीक करने के लिए योगासन भी बेहतरीन विकल्प हो सकता है। बेशक, योग आपके दर्द को कम जरूर कर सकता है, लेकिन बेहतर राहत के लिए अपने खान-पान और लाइफस्टाइल में बदलाव करना भी जरूरी है।

स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम कमर व पीठ दर्द के लिए योगासन और योगा के लाभ के बारे में विस्तार से बताएंगे। सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि कमर दर्द के लिए योगासन कैसे लाभदायक है। 

कमर और पीठ दर्द में कैसे लाभदायक है योग – How Does Yoga Help with Back Pain in Hindi

योगाभ्यास करने से मांसपेशियों में खिंचाव आने के साथ-साथ उनमें मजबूती भी आती है। इससे पीठ और रीढ़ से संबंधित दर्द ठीक हो सकता है। साथ ही योगासन के दौरान शरीर सही मुद्रा में रहता है, जिसकी मदद से पीठ व कमर के दर्द में राहत महसूस होती है (1), क्योंकि पीठ व कमर में दर्द गलत तरीके से बैठने की वजह से भी होता है (2)। इसके अलावा, कमर व पीठ दर्द की वजह मानसिक तनाव भी होता है, जिसे योग की मदद से दूर किया जा सकता है (3)। ध्यान रखें कि योग को करते समय कई बार पीठ से संबंधित परेशानी बढ़ भी सकती है (4)। इसलिए, योगासन का चयन करने से पहले योग विशेषज्ञ से सलाह जरूर करें। साथ ही शुरुआत में इन्हें उनकी देखरेख में ही करें। नीचे हम 15 ऐसे योगासन बताएंगे, जिन्हें कमर व पीठ दर्द को ठीक करने के लिए सहायक माना गया है।

अब कमर दर्द के लिए योगासन के बारे में विस्तार से जान लेते हैं। नीचे हम आपको कमर दर्द के लिए योग के 15 प्रकार के बारे में बताएंगे और कमर दर्द में योग के लाभ पर भी चर्चा करेंगे।

कमर और पीठ दर्द के लिए योगासन – Yoga Asanas For Back Pain in Hindi

1. भुजंगासन (Bhujangasana)

Bhujangasana

Shutterstock

कमर और पीठ दर्द से राहत पाने के लिए भुजंगासन को किया जा सकता है। भुजंगासन तनाव को दूर करके उसके कारण होने कमर व पीठ पर दर्द में राहत दे सकता है। इसके अलावा, अगर मोटापा या फिर वजन ज्यादा होने की वजह से किसी का पीठ व कमर दर्द बढ़ रहा है, तो भुजंगासन लाभदायक हो सकता है। भुजंगासन का नियमित अभ्यास पेट की चर्बी को कम करने में मदद कर सकता है (5) (6) (7) 

योग करने का तरीका:
  • भुजंगासन करने के लिए सबसे पहले समतल जगह पर योग मैट बिछा लें।
  • अब पेट के बल योग मैट पर लेट जाएं।
  • सुनिश्चित करें कि दोनों पैर सीधे तने हुए हों।
  • अब हथेलियों को कंधों के पास जमीन से सटाकर रखें।
  • फिर गहरी सांस लेते हुए सिर को ऊपर उठाएं और आसमान की तरफ देखें।
  • सिर से लेकर नाभि तक के हिस्से के उठने के बाद धीरे-धीरे सांस लेते व छोड़ते हुए कुछ समय तक इस मुद्रा में बने रहें।
  • फिर गहरी सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे प्रारंभिक अवस्था में आएं।
  • शरीर को थोड़ा आराम दें और दोबारा इस प्रक्रिया को दोहराएं।
  • आप इसे तीन से चार बार कर सकते हैं। 
सावधानियां:
  • आसन के दौरान शरीर को उतना ही उठाएं जितना वो आसानी वो उठ सके, ज्यादा जोर देने पर मांसपेशियों में दर्द या खिंचाव हो सकता है।
  • हर्निया और अल्सर ग्रसित लोगों को इसे करने से बचना चाहिए।
  • अगर जोड़ों में कोई समस्या हो, तो इसे करने से बचें।
  • पेट का ऑपरेशन हुआ हो, तो कम से कम इस योगाभ्यास को तीन से चार महीने तक न करें।
  • गर्भवती महिलाओं को भी यह आसन न करने की सलाह दी जाती है।

2. अर्धमत्स्येंद्रासन (Ardha Matsyendrasana)

Ardha Matsyendrasana

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अर्धमत्स्येंद्रासन को भी कमर व पीठ दर्द से राहत पाने का अच्छा तरीका माना जाता है। कमर दर्द से परेशान लोगों को यह आसन करने से कमर व पीठ दर्द कम हो सकता है (8)। यह योगासन रीढ़ की लोच (इलास्टीसिटी) को बनाए रखने में मदद कर सकता है। साथ ही रीढ़ की हड्डी और नसों के कार्य में सुधार करता है। इस आसन को करने से पूरे शरीर में लचीलापन आ सकता है (9)

योग करने का तरीका :
  • सबसे पहले समतल जमीन पर योग मैट बिछा लें।
  • अब रीढ़ की हड्डी सीधी करके बैठ जाएं और दोनों पैरों को आगे की ओर सीधा फैला लें।
  • अब दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए बाएं पैर के ऊपर से ले जाते हुए बाएं घुटने के किनारे रख दें।
  • फिर, बाएं घुटने को मोड़कर एड़ी को दाएं कूल्हे के नीचे रखें।
  • अब बाईं बाजू को दाएं घुटने के पास से बाहर निकालकर दाएं टखने को पकड़ने की कोशिश करें।
  • इसके बाद गर्दन और कमर को दाईं ओर घुमाएं।
  • कुछ सेकंड इसी स्थिति में बने रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
  • फिर धीरे-धीरे प्रारंभिक मुद्रा में आए और इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ से दोहराएं।
सावधानियां :
  • पेप्टिक अल्सर और हर्निया से पीड़ितों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
  • मासिक धर्म के दौरान इस आसन को न करें।
  • गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।
  • अगर कोई सर्जरी हुई है, तो भी इस आसन को करने से बचें।

3. मार्जरी आसन (Marjariasana)

Marjariasana

Shutterstock

मार्जरी आसन को इंग्लिश में कैट (Cat) पोज कहा जाता है। यह योगासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत और आराम पहुंचाने के लिए कारगर योगाभ्यास माना जाता है। यह पीठ दर्द को भी कम करने का काम करता है। कमर व पीठ दर्द को ठीक करने के लिए मार्जरी आसन को भी शामिल किया जा सकता है। दरअसल, यह आसन स्पाइन के साथ-साथ शरीर के अन्य भागों को लचीला करने में मदद कर सकता है (10)। यह योगासन पीठ को मजबूत करने और स्ट्रेच करने में मदद करता है। साथ ही पीठ की मांसपेशियों को लंबा करता है और शरीर की ताकत को बढ़ाता है (11)। लचीलेपन की यह प्रक्रिया कमर दर्द को ठीक करने में मददगार साबित हो सकती है। फिलहाल, इस संबंध में अभी और वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता है। 

योग करने का तरीका:
  • मार्जरी आसन करने के लिए सबसे पहले योग मैट बिछाकर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
  • फिर हाथों को आगे की ओर फैलाकर जमीन पर रखें।
  • अब हाथ व घुटनों के बल आ जाएं यानी शरीर इस दौरान बिल्ली जैसा दिखाई देगा।
  • फिर सांस लेते हुए रीढ़ को नीचे की ओर करें और गर्दन को ऊपर उठाकर पीछे की ओर देखने का प्रयास करें। कुछ सेकंड इस अवस्था में बने रहें।
  • उसके बाद सांस छोड़ते हुए रीढ़ को ऊपर करें और सिर को नीचे की ओर झुकाएं। कुछ सेकंड इसी अवस्था में बने रहें।
  • इसके बाद धीरे-धीरे वज्रासन में आ जाएं।
  • इस प्रक्रिया को 20 बाद दोहराएं।
सावधानियां:
  • कलाई और हाथों में दर्द होने पर यह आसन न करें।
  • इस आसान के दौरान सिर को ज्यादा झुकाने के लिए दवाब न बनाएं। सिर को उतना ही झुकाएं जितना वो झुके।

4. अधोमुख श्वानासन (Adho Mukha Svanasana)

Adho Mukha Svanasana

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योग का यह प्रकार चार शब्दों से मिलकर बना है। इसमें अधो का मतलब आगे, मुख का अर्थ चेहरा, श्वान का संबंध कुत्ते और आसन का अर्थ मुद्रा से है। इसका मतलब साफ है कि जैसे कुत्ता आगे झुककर अपने शरीर को खींचते हुए जिस मुद्रा में रहता है वैसी ही शरीर की मुद्रा इस आसन के दौरान कुछ ऐसी ही होती है। इस आसन को करने से आपकी मांसपेशियां मजबूत और लचीली हो सकती हैं (12)। इसलिए, माना जाता है कि यह योग करने से पीठ व कमर के दर्द से राहत मिलती है।

योग करने का तरीका:
  • अधोमुख श्वानासन करने के लिए सबसे पहले योग मैट बिछाएंं।
  • फिर मैट में वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
  • अब सामने की तरफ झुकते हुए हाथों को आगे जमीन पर रखें।
  • फिर गहरी सांस लेते हुए कमर को ऊपर उठाएं और घुटनों को सीधा करें।
  • इस दौरान शरीर का पूरा भार हाथों और पैरों पर होना चाहिए।
  • इस आसन में शरीर का आकार ‘वी’ जैसा नजर आएगा।
  • कुछ मिनट इसी अवस्था में रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
  • अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपनी प्रारंभिक अवस्था में आएं। 
सावधानियां:
  • हाथों में दर्द हो या आसान करते समय दर्द होने पर आसन को न करें।
  • उच्च रक्तचाप वाले लोगों को अधोमुख श्वानासन से बचना चाहिए।
  • कमर या कंधे में तकलीफ होने पर इस आसन को न करने की सलाह दी जाती है।

5. उष्ट्रासन (Ustrasana)

Ustrasana

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उष्ट्रासन व कैमल पोज को भी कमर दर्द के लिए अच्छा माना जाता है (13) (14)। इस योगासन को करने से पुराना कमर दर्द भी कुछ हद तक ठीक हो सकता है। दरअसल, उष्ट्रासन के दौरान कमर पूरी तरह से स्ट्रेच होती है, जिससे उसका लचीलापन बढ़ता है और दर्द से राहत मिल सकती है। यह योगासन मांसपेशियों को भी मजबूत करने में मदद कर सकता है।

योग करने का तरीका:
  • उष्ट्रासन को करने के लिए योग मैट बिछाकर वज्रासन की अवस्था में बैठ जाएं।
  • फिर घुटनों के सहारे खड़े हो जाएं।
  • इसके बाद गहरी सांस लेते हुए पीछे की ओर झुकते हुए बाएं हाथ से बाएं पैर की एड़ी और दाएं हाथ से दाएं पैर की एड़ी को पकड़ें।
  • इस दौरान आपका मुंह आसमान की तरफ होना चाहिए।
  • इस स्थिति में शरीर का पूरा भार आपके हाथ और पैर पर होना चाहिए।
  • थोड़ी देर इस स्थिति में बने रहे और सामान्य तरह से सांस लेते रहें।
  • कुछ मिनट बाद धीरे-धीरे प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
  • इस आसन को चार से पांच बार कर सकते हैं। 
सावधानियां:
  • हर्निया के मरीज इस आसन को न करें।
  • जिनका रक्तचाप बढ़ा हुआ है, उन्हें इस आसन को करने से बचना चाहिए।
  • शरीर में किसी तरह का दर्द होने पर इस आसन को न करें।

6. पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana)

Paschimottanasana

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इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी लोचदार और मजबूत बन सकती है। साथ ही रीढ़ की हड्डी से संबंधित सभी विकारों को दूर करने में भी मदद मिल सकती है। इसके अलावा, शरीर की चर्बी कम करके मोटापा दूर करने में भी मदद मिल सकती है। इसलिए, माना जाता है कि यह आसन करने से पीठ व कमर दर्द में राहत मिल सकती है। एक शोध के मुताबिक, महिलाओं द्वारा इस योगासन को किए जाने से रीढ़ की गतिशीलता में सुधार के साथ ही पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद मिली। रीढ़ की हड्डी में होने वाले दर्द से राहत दिलाने में भी इस योगासान को मददगार माना जाता है (15)। फिलहाल, इस विषय पर अधिक शोध की सलाह भी दी गई है।

योग करने का तरीका:
  • पश्चिमोत्तानासन करने के लिए सबसे पहले दोनों पैरों को आगे की तरफ सीधे फैलाकर बैठे जाएं, लेकिन ध्यान रहे कि पैरों के बीच में दूरी न हो।
  • इस अवस्था में गर्दन, सिर और रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए।
  • फिर दोनों हाथ को घुटनों पर रखें।
  • उसके बाद सांस छोड़ते हुए आगे की तरफ झुकते हुए पैरों की उंगलियों को पकड़ने का प्रयास करें और माथे को घुटने से छूने का प्रयास करें।
  • उसके बाद बांहों को नीचे की ओर झुकाकर कोहनी से जमीन को छूने का प्रयास करें।
  • कुछ सेकंड इस अवस्था में रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
  • इसके बाद धीरे-धीरे ऊपर उठते हुए सामान्य अवस्था में आ जाएं।
  • आप इस आसन को दो से तीन बार दोहरा सकते हैं। 
सावधानियां:
  • अगर पेट में दर्द हो, तो इस आसन को करने से बचें।
  • पेट की सर्जरी हुई हो, तो भी इसे न करें, क्योंकि इस योगासन में ज्यादातर दबाव पेट पर पड़ता है।

7. पवनमुक्तासन (Pawanmuktasana)

Pawanmuktasana

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पवनमुक्तासन को करने से भी पीठ व कमर दर्द से राहत पाई जा सकती है। माना जाता है कि यह योगासन कूल्हों, कमर, पैरों और इनकी मांसपेशियों को स्ट्रेच करने में मदद कर सकता है। साथ ही यह पीठ के निचले हिस्से में होने वाले दर्द को कम करने में भी सहायक माना जाता है। इस योगाभ्यास को करने से तनाव से भी मुक्ति मिल सकती है। इसके अलावा, पावनमुक्तासन के नियमित अभ्यास से जोड़ों की गतिशीलता कम होती है। इस योगाभ्यास और स्वस्थ जीवनशैली व आहार की मदद से गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। इसकी वजह से होने वाले यह आसन पीठ, कमर व जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में सहायक होता है (16) 

योग करने का तरीका :
  • इस आसन के लिए सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं । इस बात का ध्यान रखें कि आपके हाथ शरीर के साथ सटे रहने चाहिए।
  • अब गहरी सांस लेते हुए दाएं पैर को घुटने से मोड़ें। अब आप अपने दोनों हाथों से घुटने को पकड़ें और उसे छाती से लगाने की कोशिश करें।
  • अब आपको सांस छोड़ते हुए सिर को उठाना होगा और नाक को घुटने से स्पर्श करना होगा।
  • इस अवस्था में कुछ सेकंड रहें।
  • अब सांस छोड़ते हुए अपने पैरों और सिर को प्रारंभिक अवस्था में ले आएं।
  • दाएं पैर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह आसन बाएं और फिर बाद में दोनों पैरों से एकसाथ करें।
  • इस आसन को आप चार से पांच बार कर सकते हैं।

8. सेतु बंधासन (Setu Bandhasana)

Setu Bandhasana

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कमर व पीठ दर्द के लिए सेतु बंधाासन करने का सुझाव भी दिया जाता है। नाम के अनुरूप यह आसन तीन शब्दों का समावेश है। इसमें सेतु का मतलब पुल, बांध से बांधना और आसन का अर्थ मुद्रा से है। इस योगासन में शरीर को पुल की आकृति में बांधने का प्रयास किया जाता है। योग का यह प्रकार तनाव और अवसाद को दूर करने के साथ-साथ मांसपेशियों को मजबूत करता है। एक शोध के मुताबिक, यह योग ब्रेन प्रोटीन पर अच्छा असर डालता है और डिप्रेशन के स्तर को कम करता है, जिससे निचले कमर व पीठ दर्द से राहत मिल सकती है (17)

योग करने का तरीका:
  • सबसे पहले समतल स्थान पर योग मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।
  • उसके बाद दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए नितंब (हिप्स) से टिका दें।
  • इस अवस्था में घुटने सीधे होने चाहिए और तलवे जमीन से सटे होने चाहिए।
  • इसके बाद दोनों हाथों से अपनी एड़ियों को पकड़ें।
  • फिर सांस लेते हुए कमर को ऊपर उठाएं।
  • इस अवस्था में आपकी ठुड्डी छाती से, गर्दन, कंधे और सिर जमीन पर टीके होने चाहिए।
  • कुछ समय तक इस मुद्रा में बने रहे और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
  • फिर सांस छोड़ते हुए पहली वाली मुद्रा में धीरे-धीरे वापस आएं।
सावधानियां:
  • इस आसन को खाली पेट करना चाहिए।
  • कंधे या पीठ में दर्द होने पर इस आसन को नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती को यह आसन नहीं करना चाहिए।

9. शलभासन (Shalabasana)

Shalabasana

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शलभासन को इंग्लिश में लोकस्ट (Locust) पोज भी कहा जाता है। यह आसन पीठ, कूल्हे, हाथों और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद कर सकता है। इस योगासन को करने से रीढ़, छाती, कंधे और जांघ की मांसपेशियां स्ट्रेच होती है। इन सभी की वजह से कहा जाता है कि शलाभासन पीठ व कमर दर्द को ठीक करने में मदद कर सकता है (11) (18) 

योग करने का तरीका:
  • इस आसन को करने के लिए योग मैट को बिछाकर पेट के बल लेट जाएं और हथेलियों को जांघों के नीचे रखें।
  • पहले सांस लेते हुए दाएं पैरों को ऊपर उठाते हुए बिल्कुल सीधा रखने की कोशिश करें।
  • कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
  • फिर सांस छोड़ते हुए पैर को नीचे लांए और फिर दूसरे पैर से इस प्रक्रिया को करें।
  • इसके बाद दोनों पैरों से एक साथ इसे करें।
सावधानियां:
  • हृदय रोग वाले व्यक्ति यह आसन न करें।
  • अगर गर्दन में किसी तरह की मोच है, तो इस आसन को नहीं करना चाहिए।
  • थायराइड के मरीजों को बिना प्रशिक्षक के इस आसन को नहीं करना चाहिए।

10. वृक्षासन (Vrikshasana)

Vrikshasana

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इस आसन में आपको एक पैर पर खड़ा रहना पड़ता है और दिमाग को एकाग्रचित करना होता है। माना जाता है कि वृक्षासन करने से चिंता से मुक्ति पाई जा सकती है। साथ ही तनाव को भी दूर किया जा सकता है। ऐसे में तनाव की वजह से होने वाले कमर व पीठ के दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है। इस योगासन को करने से स्पाइन को लचीला बनाने में मदद मिलती है, जिसकी मदद से स्पाइन से संबंधित कमर व पीठ दर्द ठीक हो सकता है (15) (18) (19) 

योग करने का तरीका:
  • समतल जगह पर योग मैट को बिछाकर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों पैरों को आपस में जोड़ लें।
  • इसके बाद शरीर को संतुलित रखते हुए, हाथों की सहायता से दाएं तलवे को बाईं जांघ पर रखें।
  • फिर हाथों को सिर के ऊपर उठाते हुए नमस्कार की मुद्रा में आ जाएं।
  • थोड़ी देर इसी अवस्था में रहने का प्रयास करें, लेकिन ध्यान रहे कि शरीर का संतुलन बना रहे।
  • अब धीरे-धीरे योग की पहली अवस्था में आ जाएं।
  • इसके बाद कुछ मिनट के लिए शरीर को आराम दें।
  • फिर इस प्रक्रिया को दूसरी ओर भी करें।
  • इस आसन को आप दो से तीन बार तक कर सकते हैं। 
सावधानियां:
  • अगर आपको अनिद्रा या सिरदर्द की समस्या है, तो इस आसन को न करें।
  • अगर किसी को अक्सर चक्कर आते हैं, तो इस योगासन को नहीं करना चाहिए।
  • उच्च और निम्न रक्तचाप वालों को भी इसे न करने की सलाह दी जाती है।
  • घुटने या टखने का दर्द होने पर इसे न करें।
  • अनिद्रा और माइग्रेन की समस्या से ग्रस्त लोगों को भी इस योगासन से बचना चाहिए।

11. धनुरासन (Dhanurasana)

Dhanurasana

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धनुरासन को पेट के बल किया जाता है। इस आसन को भी पीठ व कमर दर्द के लिए काफी प्रभावी आसन माना जाता है। यह रीढ़ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है। इसलिए, माना जाता है कि इस योगासन को करने से कमर व पीठ दर्द ठीक हो सकता है (18) 

योग करने का तरीका :
  • पेट के बल लेट जाएं।
  • अब घुटनों को मोड़ें और हाथों से टखनों को मजबूती से पकड़ें।
  • अब सांस लेते हुए अपने सिर, छाती व जांघ को ऊपर की ओर उठाएं।
  • ध्यान रहे कि इस मुद्रा में आपके शरीर का आकार किसी धनुष के समान लगना चाहिए।
  • क्षमता के अनुसार इस मुद्रा में रहे और धीरे-धीरे सांस लेने व छोड़नी की प्रक्रिया जारी रखें।
  • प्रारंभिक अवस्था में आने के लिए लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए नीचे आएं।
  • आप इस आसन को चार से पांच बार कर सकते हैं।
सावधानियां:
  • दिल की समस्याओं से पीड़ित लोगों को इस आसन से बचना चाहिए।
  • उच्च रक्तचाप वाले रोगी को भी यह आसन न करने की सलाह दी जाती है।
  • हर्निया, पेप्टिक या अन्य अल्सर से पीड़ित व्यक्ति को यह आसन नहीं करना चाहिए।

12. गरुड़ासन (Garudasana)

Garudasana

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गरुड़ासन पीठ को लचीला बनाने में मदद कर सकता है। यह एक तरह की स्ट्रेचिंग व स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज है। साथ ही इस योगासन को करने से तनाव भी दूर होता है (20)। इसलिए, माना जाता है कि गरुड़ासन पीठ व कमर दर्द को ठीक करने में मदद कर सकता है (21) 

गरूड़ासन करने का तरीका:

  • इस आसन को करने के लिए पहले सीधे खड़े हो जाएं और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
  • फिर दोनों हाथों को सामने की तरफ कर दोनों घुटनों को थोड़ा मोड़ लें।
  • फिर दाएं पैर को आगे से घुमाकर बाएं पैर के पीछे ले जाएं। इस अवस्था में आपका दायां पंजा, बाएं पंजे के थोड़ा ऊपर होगा।
  • उसके बाद सामान्य रूप से सांस लेते हुए बाईं बाजू को दाईं बाजू के ऊपर रखे और बाएं हाथ को घुमाकर दाएं हाथ के सामने लाकर नमस्कार की मुद्रा में आने का प्रयास करें।
  • इस अवस्था में एक मिनट तक खड़े रहने का प्रयास करें।
  • इस आसन से बाहर आने के लिए विपरीत क्रिया करें।
  • फिर इसे दूसरी तरफ भी करें।
  • इस आसन को आप 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं। 
सावधानियां:
  • अगर आपकी नसों में किसी भी प्रकार की सूजन है या जोड़ों में दर्द है, तो इस आसन को करने से बचें।
  • पैर में चोट लगने पर इस योगासन को न करें।

13. अर्द्ध पिंचा मयूरासन (Ardha Pincha Mayurasana – Dolphin Pose)

Ardha Pincha Mayurasana - Dolphin Pose

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माना जाता है कि अर्द्ध पिंचा मयूरासन मस्तिष्क को शांत करके तनाव और अवसाद को दूर करने में मदद करता है। साथ ही यह कंधों, कमर व पिंडली को स्ट्रेच करता है, जिससे यह मजबूत होते हैं और इनमें होने वाले दर्द से राहत मिल सकती है। इस योगासन को ऑस्टियोपोरोसिस और साइटिका में लाभदायक माना जाता है, लेकिन इसको लेकर अभी शोध की आवश्यकता है। 

योग करने का तरीका:
  • अर्ध पिंच योगासन को करने से पहले योगमैट बिछाएं।
  • अब इस पर घुटनों के बल बैठ जाएं।
  • फिर अपनी हथेलियों व कोहनियों को फर्श पर रखें।
  • इसे दौरान आपके कंधे व कोहनी एक ही पंक्ति पर होने चाहिए।
  • अब सांस लेते हुए कमर, कूल्हे और घुटनों को ऊपर की तरफ उठाएं।
  • हाथ और पैरों के पंजों से पूरी बॉडी को कुछ देर के लिए संतुलित करें।
  • अब आप अपने पंजों से हाथों की तरफ कुछ कदम चल भी सकते हैं या फिर कुछ सेकंड इस मुद्रा में बने रहें।
  • कुछ देर बाद सांस छोड़ते हुए प्रारंभिक मुद्रा में वापस आ जाएं। 
सावधानियां:
  • हाथ व पीठ दर्द से ग्रस्‍त लोगों को योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही यह आसन करना चाहिए।
  • कंधे पर चोट लगी हो, तो इस आसन को करने से बचें।
  • उच्‍च रक्‍तचाप वालों को अर्द्ध पिंचा मयूरासन नहीं करना चाहिए।

14. बद्धकोणासन (Baddha Konasana/ Cobbler or Butterfly Pose)

Baddha Konasana Cobbler or Butterfly Pose

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बद्धकोणासन तीन शब्दों से मिलकर बना है। सबसे पहला बद्ध जिसका अर्थ है, बंधा हुआ, दूसरा कोण यानी की कोना और तीसरा आसन, जिसका मतलब है योग की मुद्रा (22)। यह पाया गया है कि योग करने वालों में सेरोटोनिन नामक केमिकल के स्तर में इजाफा होता है। इसकी मदद से मानसिक और न्यूरोलॉजिकल विकारों जैसे अवसाद आदि पर फायदेमंद प्रभाव पाए जाते हैं। साथ ही योग करने से बढ़ने वाला यह केमिकल दर्द निवारक के रूप में भी कार्य करता है। यह कमर व पीठ दर्द को ठीक करने के साथ ही मनोरोग के लक्षणों को भी कम करने में सहायक पाया गया है (15) 

योग करने का तरीका:
  • बद्धकोणासन व तितली आसन करने से पहले योग मैट बिछा लें।
  • अब गहरी सांस लेते हुए रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए मैट पर पैरों को आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं।
  • फिर सांस को छोड़ते हुए घुटनों को मोड़कर दोनों पैरों के तलवे को एक साथ मिलाएं।
  • अब गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर दोनों पैरों के पंजों को पकड़ लें।
  • इसके बाद पैरों को शरीर के पास लेकर आएं। कोशिश करें कि एड़िया गुप्तांग के करीब हों।
  • ध्यान रहे कि जितना संभव हो, पैरों को उतना ही करीब लेकर आएं। बल का प्रयोग बिल्कुल भी न करें।
  • फिर सांस छोड़ते हुए घुटनों को फर्श से स्पर्श करने का प्रयास करें।
  • अब सांस लेते और छोड़ते हुए घुटनों को तितली के पंख की तरह ऊपर-नीचे हिलाएं।
  • जैसे ही थकान महसूस हो, तो कुछ देर आराम करें और फिर से इसे करें। 
सावधानियां:
  • अगर आपके घुटने में चोट हो, तो इस आसन को करने से बचें।
  • मासिक धर्म के दौरान यह आसन न करने की सलाह दी जाती है।
  • साइटिका से पीड़ित लोगों को एक तकिये पर बैठकर या योग विशेषज्ञ की निगरानी में यह आसन का अभ्यास करना चाहिए।

15. बितिलासन (Bitilasana)

Bitilasana

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बितिलासन दो शब्दों से मिलकर बना है। बितिला, जिसका अर्थ है गाय और आसन यानी मुद्रा। इस योगासन के दौरान शरीर गाय की मुद्रा में होता है। यह आसन बिल्ली की मुद्रा वाले आसन यानी मार्जरी आसन  के साथ किया जाता है। यह आसन बाहों, ऊपरी पीठ, सीने और पेट के किनारों को स्ट्रेच करने में मदद करता है। यह योगासन पेट की मांसपेशियों को टोन्ड करने और गर्दन व पीठ दर्द को ठीक करने में मदद कर सकता है। बितिलासन करने से हाथ, उंगलियों और कलाई को भी मजबूत किया जा सकता है (23)

योग करने का तरीका: 
  • एक समतल जगह पर योग मैट व कोई आरामदायक आसन बिछाएं।
  • अब घुटनों के सहारे यानी वज्रासन में बैठ जाएं।
  • फिर आगे की ओर झुकते हुए दोनों हाथों को अपने आगे सीधे जमीन पर टिका लें।
  • फिर कूल्हे और कमर को ऊपर की ओर उठाएं।
  • शरीर की आकृति इस दौरान मेज व टेबल टॉप के समान होनी चाहिए।
  • योगासन करते समय पैर गुप्तांग की सीध में और कलाई कंधों के ठीक नीचे होने चाहिए।
  • अब अपने सिर को ढीला छोड़कर फर्श की ओर देखें।
  • फिर सांस लेते हुए अपने कूल्हों को आसमान की तरफ उठाएं।
  • इस दौरान पेट को जमीन की ओर दबाएं।
  • अब सिर को उठाते हुए कुछ सेकंड सीधे या फिर आसमान की तरफ देखें।
  • कुछ देर इस मुद्रा में बने रहने के बाद टेबल टॉप वाली स्थिति में वापस आ जाएं।
  • इसके बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे वज्रासन की अवस्था में वापस आ जाएं।
सावधानियां:
  • गर्दन में किसी तरह की चोट हो या यह संवेदनशील हो, तो इसे ज्यादा न मोड़ें।
  • गर्दन के पिछले हिस्से को ज्यादा ऊपर की ओर न मोड़ें।
  • कंधे में दर्द हो इस योगासन को करने से बचें। 

नोट: इन सभी योगासनों को प्रशिक्षित योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें, वरना आपको फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है। 

लेख के माध्यम से आप पीठ व कमर दर्द के लिए योगासन के बारे में तो जान ही गए हैं। इनकी मदद से आपको दर्द से राहत मिल सकती है। पीठ व कमर दर्द को ठीक करने के साथ ही अन्य शारीरिक समस्याओं से दूर रहने के लिए भी आप योग को अपना सकते हैं। ध्यान रहे कि योग को नियमित रूप से किया जाना चाहिए। अगर आपको किसी बात की दुविधा हो, तो आप योग विशेषज्ञ से सलाह भी ले सकते हैं। वहीं, अगर कमर दर्द ज्यादा हो, तो बिना देरी किए डॉक्टर से चेकअप जरूर करवाएं और फिर डॉक्टर से पूछ कर ही योगासन करें। साथ ही आप हमें भी अपने सवाल कमेंट बॉक्स के माध्यम से भेज सकते हैं। इस लेख को आप अपने दोस्तों और जानकारों के साथ साझा कर उन्हें भी जिद्दी कमर दर्द से राहत दिलाने में मदद करें।

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